9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस क्या है – what is world tribal day

विश्व आदिवासी दिवस क्या है – What is World Tribal Day
विश्व आदिवासी दिवस (World Indigenous Day) वार्षिक रूप से 9 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिवस आदिवासी समुदायों की संरक्षा, सम्मान और उनके अधिकारों को प्रमोट करने के लिए समर्पित है। इस दिन कई देशों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जहां आदिवासी संगठन, संस्थाएं और लोग एकत्रित होते हैं और अपनी समस्याओं, मांगों और आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विचार-विमर्श करते हैं। इस दिन को आदिवासी समुदायों के अधिकारों को जागृत करने और उनकी संरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है।
विश्व आदिवासी दिवस के दिन लोग क्या करते है?
विश्व आदिवासी दिवस के दौरान, लोग आदिवासी समुदायों के लोगों के साथ भागीदारी करते हैं और उनके जीवनशैली, संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व को समझने का प्रयास करते हैं। इस दिन आदिवासी संगठन और समुदायों द्वारा विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जहां लोग आपस में मिलकर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं और आदिवासी समुदायों के लिए नीतियों और योजनाओं की मांग करते हैं।
9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस क्या है – what is world tribal day इस दिन आदिवासी संगठन और नेताओं द्वारा भाषण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जहां विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाती है और आदिवासी समुदायों के अधिकारों को बढ़ावा दिया जाता है। इसके अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, भूमि संरक्षण और सांस्कृतिक विकास जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
विश्व आदिवासी दिवस के दौरान, लोग आदिवासी संगठनों के सदस्य बनने, आदिवासी संस्कृति के प्रतीक वस्त्र धारण करने, आदिवासी भोजन का स्वाद लेने और आदिवासी कला, शिल्प और बाजारों में उत्पादों की खरीदारी करने के माध्यम से इस दिन को मनाते हैं।
विश्व आदिवासी दिवस का महत्वपूर्ण उद्देश्य है कि लोग आदिवासी समुदायों के साथ मिलकर उनकी समस्याओं को समझें, उनके अधिकारों की रक्षा करें और उनके साथ सहयोग करें ताकि वे अपनी संस्कृति, भाषा, और परंपराओं को सुरक्षित रख सकें और उनका विकास हो सके।
विश्व स्वदेशी दिवस क्यों मनाया जाता है?
विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन 9 अगस्त को होता है, जो 1994 में विश्व आदिवासी संगठन (World Alliance of Indigenous Peoples) द्वारा शुरू किया गया था। इस दिन कई देशों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें आदिवासी संगठनों, सरकारी अधिकारियों, शिक्षाविदों, और आम जनता के सदस्यों की भागीदारी होती है। इन कार्यक्रमों में आदिवासी संगठनों द्वारा आदिवासी समुदायों के मुद्दों पर चर्चा की जाती है, संगठनों के लोगों के द्वारा आदिवासी संस्कृति के प्रदर्शन और आदिवासी गीत-नृत्य का आयोजन किया जाता है।
विश्व आदिवासी दिवस का मनाना आदिवासी समुदायों के अधिकारों को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है और इसका उद्देश्य उनकी संरक्षा और सम्मान करना है।
विश्व आदिवासी दिवस के माध्यम से, लोगों को आदिवासी समुदायों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। यह दिवस आदिवासी समुदायों के अधिकारों, संरक्षा, और सम्मान के महत्व को साझा करने का एक मौका प्रदान करता है। इसके अलावा, यह दिवस आदिवासी समुदायों के लिए एक माध्यम है जिसके द्वारा उनकी समस्याओं, जैसे जमीन की हकीकत, वनों के अधिकार, सांस्कृतिक संरक्षण, और शिक्षा के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।
विश्व आदिवासी दिवस के दौरान, विभिन्न संगठन, सरकारी अधिकारी, और आम जनता के सदस्यों के बीच विशेष आदिवासी सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। इन सम्मेलनों में, आदिवासी समुदायों के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाती है और नई नीतियों और कार्यक्रमों के विषय में विचार-विमर्श होता है। इसके अलावा, आदिवासी संगठनों द्वारा आदिवासी संस्कृति के प्रदर्शन, जैसे गीत, नृत्य, और रंगमंच कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
विश्व आदिवासी दिवस का महत्वपूर्ण उद्देश्य है कि लोगों को आदिवासी समुदायों के साथ सहयोग करने और उनके अधिकारों की संरक्षा करने की जरूरत को समझना चाहिए। इसके माध्यम से, हम सभी को आदिवासी समुदायों के साथ एक समरस और समानित भारतीय समाज का निर्माण करने का संकल्प लेना चाहिए।
विश्व आदिवासी दिवस का इतिहास क्या है?
विश्व आदिवासी दिवस का इतिहास विश्व आदिवासी संगठन (World Indigenous Peoples’ Organization) के गठन के साथ जुड़ा हुआ है। विश्व आदिवासी संगठन का गठन 9 अगस्त 1982 को हुआ था। इसके बाद से हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
विश्व आदिवासी दिवस का मुख्य उद्देश्य आदिवासी जनजातियों के अधिकारों को संरक्षित करना और उनकी समस्याओं को जागृत करना है। इस दिन कई देशों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें आदिवासी संगठनों, सरकारी अधिकारियों, अकादमिक विद्यालयों और अन्य संगठनों के सदस्यों की भागीदारी होती है। इन कार्यक्रमों में आदिवासी संस्कृति, गीत, नृत्य, विभिन्न प्रदर्शनी और विचार-विमर्श कार्यक्रम शामिल होते हैं।
विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन आदिवासी समुदायों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने, उनकी संस्कृति और विरासत को मान्यता देने, उनकी समस्याओं को समझने और समाधान करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन को आदिवासी समुदायों के लोग अपनी भाषा, संस्कृति, और परंपराओं को संजोकर दिखाते हैं और अपनी आवाज को सुनाते हैं।
विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन विभिन्न तरीकों से किया जाता है। इस दिन कई देशों में आदिवासी समुदायों के लोग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होते हैं और अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करते हैं। इसके अलावा, विश्व आदिवासी दिवस के दौरान विशेष वेबिनार, संगोष्ठी, सेमिनार और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं जहां आदिवासी संगठनों, अधिकारियों, शोधकर्ताओं और अन्य व्यक्तियों के बीच विचार-विमर्श होता है।
विश्व आदिवासी दिवस के दौरान आदिवासी समुदायों के अधिकारों, जीवन शैली, संस्कृति, भाषा, शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास और पर्यावरण संरक्षण के मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस दिन को आदिवासी समुदायों के लोग अपने अधिकारों की रक्षा करने, अन्य लोगों को जागरूक करने और उन्हें आदिवासी संस्कृति और विरासत के प्रति समझदार बनाने का एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन आदिवासी समुदायों के लोगों को उनकी महत्वपूर्ण भूमिका और योगदान को मान्यता देने का एक माध्यम भी है। इस दिन को मनाकर हम आदिवासी समुदायों के साथीत्व, समरसता और सम्मान का संकेत देते हैं और उनके साथ एक समरस और समान समाज की ओर प्रगति करने की प्रतिज्ञा करते हैं।
भारतीय संविधान के अनुसार आदिवासी क्या है?
भारतीय संविधान में, आदिवासी शब्द का उपयोग विभिन्न अनुसूचित जनजातियों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है। इसे आदिवासी जनजाति (Scheduled Tribes) के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय संविधान के अनुसार, अनुसूचित जनजातियाँ वे जनजातियाँ हैं जो भारतीय संविधान की पहली अनुसूचित जनजाति सूची (Scheduled Tribes List) में शामिल हैं।
आदिवासी जनजातियाँ भारत के विभिन्न भूभागों में निवास करती हैं और उनका अपना विशेष सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान होता है। इन जनजातियों को संविधान द्वारा संरक्षित किया जाता है और उन्हें विशेष अधिकार और सुरक्षा की प्राथमिकता प्रदान की जाती है। इसके अलावा, आदिवासी जनजातियों को उनकी सांस्कृतिक और भौगोलिक आवश्यकताओं के अनुरूप विकास की सुविधा भी प्रदान की जाती है।
आदिवासी जनजातियों को उनकी संरचनात्मक विशेषताओं, जैविक जीवनशैली, भाषा, संस्कृति, धार्मिक अनुयायित्व, और उनके आर्थिक और सामाजिक विकास की आवश्यकताओं को समझने और सम्मान करने की आवश्यकता होती है। इसका उद्देश्य उन्हें सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाना है और उनकी सामरिक और आर्थिक सुरक्षा की गारंटी प्रदान करना है।
आदिवासी जनजातियों को उनके विकास और सुरक्षा के लिए कई कानूनों और योजनाओं की प्राथमिकता दी जाती है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण कानून और योजनाएं निम्नलिखित हैं:
1. आदिवासी जनजातियों (अनुसूचित जनजातियों) के लिए विशेष अधिकार: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244(1) के तहत, आदिवासी जनजातियों को विशेष अधिकार प्रदान किए जाते हैं। इसमें उन्हें अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में जमीन का मालिकाना हक, शिक्षा, आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए विशेष योजनाएं, और अन्य सुरक्षा और विकास की योजनाएं प्रदान की जाती हैं।
2. पंचायत (एकीकृत पंचायती राज) अधिनियम, 1996: यह अधिनियम आदिवासी जनजातियों को स्थानीय स्तर पर सशासन की भागीदारी का अधिकार प्रदान करता है। इसके तहत, आदिवासी जनजातियों को अपने गांवों और उनके संगठनों में स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने, विकास की योजनाओं में सहभागी बनने, और स्वयं की आर्थिक और सामाजिक विकास की योजनाएं बनाने का अधिकार होता है।
3. आदिवासी जनजातियों के लिए विशेष योजनाएं: सरकार द्वारा आदिवासी जनजातियों के लिए कई विशेष योजनाएं चलाई जाती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं जैसे आदिवासी विकास कार्यक्रम (Tribal Development Program), आदिवासी छात्रवृत्ति योजना (Tribal Scholarship Scheme), और आदिवासी ग्रामीण आजीविका योजना (Tribal Rural Livelihood Scheme) शामिल हैं। इन योजनाओं के माध्यम से, आदिवासी जनजातियों को शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक विकास, और रोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
भारतीय संविधान के अनुसार, आदिवासी जनजातियों को समानता, संरक्षण, और समृद्धि की दृष्टि से विशेष संरक्षण प्रदान किया जाता है। इसका उद्देश्य उन्हें समाज में सम्मानित और समृद्ध बनाना है और उनकी सांस्कृतिक और आर्थिक विकास की आवश्यकताओं को पूरा करना है।
विश्व मे आदिवासियों की जनसंख्या कितनी है?
पूरे विश्व की जनसंख्या का पांच प्रतिशत हैं. दुनिया में लगभग 5000 आदिवासी समुदाय हैं. इनकी सात हजार भाषाएं हैं उनकी आबादी दुनिया की 5 प्रतिशत है लेकिन गरीबों में उनका हिस्सा 15 प्रतिशत है. सर्वाइवल इंटरनेशनल की फियोना वॉटसन ने डॉयचे वेले को बताया कि विभिन्न समुदायों की सबसे बड़ी चुनौती ये हैं कि उनकी पुश्तैनी जमीन खोती जा रही है. “दुनिया भर में आदिवासी लोगों का पर्यावरण के साथ निकट रिश्ता है.
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