चंद्रयान 3 पर कितना खर्च किया गया है ?

चंद्रयान 3 पर कितना खर्च किया गया है ?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के हालिया मून मिशन ‘चंद्रयान-3’ पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 615 करोड़ खर्च किए हैं जिनमें से 250 करोड़ लैंडिंग मॉड्यूल व प्रॉपल्शन मॉड्यूल पर जबकि लॉन्च सर्विस पर करीब 365 करोड़ खर्च हुए हैं। वहीं, चंद्रयान-2 पर करीब 970 करोड़ जबकि चंद्रयान-1 पर ₹386 करोड़ खर्च हुए थे।
नई दिल्ली: भारत और रूस चंद्रमा के साउथ पोल में उतरने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों देशों के मिशन चांद की सतह के बहुत करीब हैं। भारत का Chandrayaan-3, जो लैंडर विक्रम प्रपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया है, चांद की सतह की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहा है। 23 अगस्त को इसे चांद की सतह पर उतारने का प्रयास किया जाएगा। रूस का मिशन लूना-25 भी 21 से 23 अगस्त को चांद की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा। 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 का उद्घाटन हुआ था, और 5 अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। 10 अगस्त को रूस का मिशन भी भेजा गया था। यहां हम आपको बता रहे हैं कि भारत और रूस के मिशन पर कितने पैसे खर्च किए गए हैं।
1976 के बाद रूस ने चांद पर पहली बार उड़ान भरी, चंद्रयान-3 भारत की तीसरा मून मिशन है। चंद्रयान-3 का वजन 3,800 किग्रा है, जबकि रूस के लूना-25 का वजन 1,750 किग्रा है। दोनों का बजट काफी अलग है। रूस ने लूना-25 का बजट घोषित नहीं किया है, जबकि चंद्रयान-3 का बजट मात्र 615 करोड़ रुपये है। रिपोर्ट बताती है कि इसकी लागत लगभग 1,600 करोड़ रुपये है। यानी रूस का मिशन भारत से लगभग ढाई गुना अधिक है। चंद्रयान-2 की तुलना में चंद्रयान-3 का खर्च कम है। चंद्रयान-3 में, चंद्रयान-2 की तरह, ऑर्बिटर नहीं है।
इसरो बनाम नासा का खर्च देख
चंद्रयान-3 को बनाने में कुल 615 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अनुसार। चंद्रयान-3 के प्रपल्शन मॉड्यूल, रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम को बनाने का कुल खर्च 250 करोड़ रुपये है। इसके लॉन्च पर भी 365 करोड़ रुपये खर्च हुए। चंद्रयान-2 की तुलना में इसका कुल खर्च लगभग ३० प्रतिशत कम है। 2008 में चंद्रयान-1 भेजा गया, जिसका कुछ हिस्सा 386 करोड़ रुपये का था। 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 पर भी 978 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसरो ने यानी तीनों मिशन पर 1,979 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
1960 में अमेरिका ने लूनर मिशन शुरू किया था। तब उसके मिशन पर 25.8 अरब डॉलर खर्च हुआ था। आज के हिसाब से इसका मूल्य 178 अरब डॉलर है। रुपये में यह राशि लगभग 14 लाख करोड़ रुपये है। यानी इसरो की तुलना में नासा के मून मिशन का खर्च लगभग 3,000 गुना अधिक था। कुछ साल पहले, इसरो ने मंगलयान भी लॉन्च किया था। 2013 में हॉलीवुड फिल्म ग्रैविटी का खर्च 600 करोड़ रुपये था, जबकि इसका कुल खर्च लगभग 450 करोड़ रुपये था।
चंद्रयान-3 नवीनतम अपडेट: भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने उसकी चंद्र खोज में एक और बड़ी छलांग लगाई क्योंकि अंतरिक्ष यान का लैंडर मॉड्यूल उस प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो गया जो इसे इन दिनों अंतरिक्ष में ले जा रहा था। चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है, जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने की संपूर्ण क्षमता प्रदर्शित करता है।
भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने उसकी चंद्र खोज में एक और बड़ी छलांग लगाई क्योंकि अंतरिक्ष यान का लैंडर मॉड्यूल उस प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो गया जो इसे इन दिनों अंतरिक्ष में ले जा रहा था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को देश के चंद्रमा मिशन के प्रमुख मील के पत्थर की घोषणा की।
लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) वाला लैंडर मॉड्यूल अब एक कक्षा में उतारने के लिए तैयार है जो इसे चंद्रमा की सतह के करीब ले जाएगा। पीटीआई के मुताबिक, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त को होनी है।
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